नयी दिल्लीः कर्नाटक के अयोग्य विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है. वे अब उपचुनाव लड़ सकेंगे. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक विधानसभा स्पीकर द्वारा उन्हें अयोग्य ठहराने के फैसले को सही करार दिया, लेकिन वर्ष 2023 तक चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर देने के विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को रद्द कर दिया.
कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस्तीफा देने से स्पीकर के अधिकार खत्म नहीं हो जाते हैं. साथ ही कहा है कि संसदीय लोकतंत्र में सरकार और विपक्ष दोनों से नैतिकता की उम्मीद होती है, हम हालात को देखकर केस की सुनवाई करते हैं. अदालत ने कहा है कि याचिकाकर्ता इस मामले में हाईकोर्ट भी जा सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट का फैसले इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका असर प्रदेश में होने वाले विधानसभा उपचुनाव पर भी पड़ेगा. कर्नाटक में आने वाली 5 दिसंबर को 15 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है, ऐसे में अयोग्य करार दिए जा चुके ये विधायक इन चुनावों में अपनी किस्मत आजमा सकेंगे
न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की तीन सदस्यीय पीठ ने इन अयोग्य घोषित विधायकों की याचिकाओं पर 25 अक्टूबर को सुनवाई पूरी की थी. विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने विधानसभा में एचडी कुमारस्वामी सरकार के विश्वास प्रस्ताव से पहले ही 17 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था.
क्यों अयोग्य साबित हुए थे विधायक?
गौरतलब है कि कर्नाटक में सरकार की खींचतान के बीच तब कांग्रेस के 14, जेडीएस के 3 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था. इसी के बाद विधानसभा स्पीकर रमेश कुमार ने 17 विधायकों को अयोग्य करार दिया था. जिसके बाद इन सीटों पर उपचुनाव होना था. बता दें कि कर्नाटक विधानसौधा में 17 विधायकों की गैरमौजूदगी की वजह से कुमारस्वामी की सरकार गिर गई थी. इन विधायकों के बागी हो जाने के बाद जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन की सरकार गिर गई थी. और बाद में बीजेपी ने बीएस येदियुरप्पा की अगुवाई में राज्य में सरकार बनाई थी.
इसी साल जुलाई में कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर ने दल-बदल कानून के तहत इन 17 विधायकों को अयोग्य घोषित किया था. स्पीकर द्वारा अयोग्य घोषित किए गए विधायकों में 14 विधायक कांग्रेस के जबकि तीन विधायक जेडीएस से हैं.