विशेष आलेख
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा...’ कविता की ये पंक्तियां किसी शहीद के स्मारक को देख कर साकार हो उठती हैं. रणबांकुरों की धरती झारखंड में पदस्थापित अर्द्धसैिनक बलों और झारखंड पुलिस के कई अफसरों और जवानों ने उग्रवादियों से लोहा लेते हुए अपनी शाहदत दी है.

जम्मू में तैनात बीएसएफ के जवान सीताराम उपाध्याय पाकिस्तानी रेंजरों से लड़ते हुए 18 मई 2018 को महज 28 वर्ष की उम्र में शहीद हो गये थे. उस समय राज्य सरकार की ओर से घोषणा की गयी थी कि शहीद के आश्रित को नौकरी और जमीन दी जायेगी. लेकिन नौ माह बाद भी शहीद की विधवा रश्मि उपाध्याय को न नौकरी मिली और न ही जमीन.