दुर्गापुर : विधाननगर स्थित द मिशन अस्पताल की ओर से राष्ट्रीय नवजात शिशु देखभाल सप्ताह मनाया जा रहा है. रविवार को अस्पताल परिसर में प्री-मेच्योर बच्चों को लेकर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के दौरान अस्पताल के शिशु चिकित्सक डॉक्टर देवदीप मुखर्जी ने बताया कि तय समय से पहले जन्म लेनेवाले शिशु का समय पर सटीक इलाज शुरू किया जाय तो उन्हें क्वालिटीफुल लाइफ प्रदान किया जा सकता है.
सही समय पर इलाज नहीं होने से नवजात की मौत हो जाती हैै. लेकिन अब अभिभावकों को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. इस तरह के मामले में मिशन अस्पताल बेहतर विकल्प के तौर पर उभरा है. प्री-मेच्योर शिशुओं के सटीक इलाज के लिए मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल का होना बेहद ही जरूरी होता है.
मिशन अस्पताल इस मामले में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है. मिशन अस्पताल भारत के पूर्वी हिस्से में एक दशक से अधिक समय तक स्वास्थ्य सेवा में अग्रणी रहा है. इस अस्पताल ने जनशक्ति और प्रौद्योगिकी को बेहतर बनाने और स्वास्थ्य सेवा में श्रेष्ठ बनाने के लिए पहल की है.
अस्पताल पूर्वी भारत और इसके पड़ोसी क्षेत्रों में रोगी केंद्रित और उच्च गुणवत्ता देखभाल के माध्यम से अपनी उपस्थिति स्थापित करने में सक्षम रहा है. हमारी नवजात व बाल रोग टीम इस क्षेत्र में नवजात और शिशु मृत्यु दर कम करने के उद्देश्य में तेजी से प्रगति कर रही है. इस सप्ताह हम राष्ट्रीय नवजात शिशु देखभाल सप्ताह मना रहे हैं.
आज विशेष रूप से हम विश्व प्रेम दिवस मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं. लगभग 10% बच्चे समय से पहले पैदा होते हैं. पिछले एक साल में हमारी नवजात गहन चिकित्सा इकाई से कई बच्चे घर चले गये हैं. इनमें से कुछ शिशुओं को 100 दिन के लिए भर्ती रखा गया था.
गत एक वर्ष के आंकड़ों पर गौर करें तो हमारे अस्पताल की नवजात इकाई में 676 बच्चे भर्ती हुए थे. इनमें से 93 शिशु तय समय (37 सप्ताह)के पहले जन्म लिये थे.
समय से पहले जन्म लेनेवाले बच्चों के लिए नवीनतम जिराफ इन्क्यूबेटर्स, एनआइसीयू और पीआइसीयू के लिए इनवेसिव, गैर इनवेसिव वेंटिलेशन और दोलन की सुविधा के साथ वेंटिलेटर जोड़े हैं. इन उपकरणों के साथ इस क्षेत्र का मिशन एकमात्र अस्पताल है.